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दो साल दूध बेचकर की UPSC की तैयारी, अब बन गए IPS अधिकारी, जानें इनकी स्टोरी
उमेश गणपत खांडबहाले की सफलता की कहानी प्रेरणा और उम्मीद की मिसाल है। उनकी यात्रा यह साबित करती है कि असफलताओं और मुश्किलों के बावजूद, सही दिशा और निरंतर प्रयास से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। यहाँ उनकी कहानी के प्रमुख बिंदुओं पर ध्यान दिया गया है:
प्रारंभिक असफलताएँ और संघर्ष
- 12वीं में असफलता: उमेश ने 12वीं कक्षा की अंग्रेजी परीक्षा में सिर्फ 21 नंबर प्राप्त किए और पूरी परीक्षा में असफल हो गए। इस असफलता के बाद उन्हें औपचारिक शिक्षा को छोड़ना पड़ा।
- दूध बेचना: असफलता के बाद, उन्होंने अपने परिवार की मदद के लिए दूध बेचना शुरू किया। यह समय उनके जीवन का कठिनतम दौर था, लेकिन उन्होंने मेहनत करने का निर्णय लिया और गांव से नासिक जाकर दूध बेचा।
शिक्षा में पुनरागमन
- ओपन स्कूल शिक्षा: कठिनाइयों के बावजूद, उमेश ने हार मानने के बजाय ओपन स्कूल के माध्यम से 12वीं कक्षा की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने साइंस में कॉलेज की पढ़ाई की और ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की।
यूपीएससी की तैयारी और सफलता
- आईपीएस परीक्षा: अपनी कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के साथ, उमेश ने UPSC परीक्षा की तैयारी की और आईपीएस परीक्षा में 704वीं रैंक प्राप्त की।
- पश्चिम बंगाल में सेवा: आज वह पश्चिम बंगाल के एक जिले में पुलिस अधीक्षक के रूप में कार्यरत हैं।
प्रेरणा और सिख
- सफलता की कहानी: उमेश गणपत खांडबहाले की कहानी यह दर्शाती है कि असफलताएँ और कठिनाइयाँ जीवन की सफलता की सीढ़ी बन सकती हैं। उनकी जर्नी ने यह साबित कर दिया कि दृढ़ संकल्प, मेहनत और समर्पण के साथ किसी भी बाधा को पार किया जा सकता है।
उमेश गणपत खांडबहाले की यात्रा निश्चित ही उन लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो जीवन की कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं और अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उनकी सफलता यह दिखाती है कि सही मार्गदर्शन और आत्मविश्वास के साथ, किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है।